अगर खिलाफ है होने दो
जान थोड़ी है
ये सब धुआ है
कोई आसमान थोड़ी है
लगेगी आग तो आएंगे घर कई ज़द मे
यहा पे सिर्फ़ हमारा मकान थोड़ी है
हमारे मुँह से जो निकले वही सदाक़त है
हमारे मुँह मे तुम्हारी ज़ुबान थोड़ी है
मै जानता हू के दुश्मन भी कम नही
लेकिन हमारी तरह हथेली पे जान थोड़ी है
जो आज साहिब-ए-मसनद है
कल नही होंगे
किरायेदार है
ज़ाती मकान थोड़ी है
सभी का खून है शामिल यहा की मिट्टी मे
किसी के बाप का हिन्दुस्तान थोड़ी है
जान थोड़ी है
ये सब धुआ है
कोई आसमान थोड़ी है
लगेगी आग तो आएंगे घर कई ज़द मे
यहा पे सिर्फ़ हमारा मकान थोड़ी है
हमारे मुँह से जो निकले वही सदाक़त है
हमारे मुँह मे तुम्हारी ज़ुबान थोड़ी है
मै जानता हू के दुश्मन भी कम नही
लेकिन हमारी तरह हथेली पे जान थोड़ी है
जो आज साहिब-ए-मसनद है
कल नही होंगे
किरायेदार है
ज़ाती मकान थोड़ी है
सभी का खून है शामिल यहा की मिट्टी मे
किसी के बाप का हिन्दुस्तान थोड़ी है